परम् भाग्योदय

“परम् भाग्योदय”

किसी महापुरुष व संस्था का मिलना आश्रय,
यथार्थ में है यह एक संयोग, परम् भाग्योदय।

योग है जैसे योगी गोविन्द से गउ-गोपी का,
वेणु से वेणुधर गोपाल भगवान श्रीकृष्ण का।

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम से धनुष का,
मानो भुजंग से नीलकंठ शम्भू शिव का।

नन्हे मूषक से गहन गजानन गणपति का,
वीणा से जैसे हंसवाहिनी माँ सरस्वती का।

खिलती सुमन में बसी जैसे सुगन्धि का,
बहती पवन में मिश्रित सौम्य ठण्डी का।

पुण्योदय है या कृपाघन वृष्टि हुई है कोई,
अयोग्य को अकारण योग्य मिल गया कोई।

अनगढ़-स्थूल, बेरंग-बेगुण पड़ी माटी को,
रंग-रूप, गुण-आकार दे गया “कुम्हार” कोई।

किसी महापुरुष का मिलना सुखद प्रेमाश्रय,
यथार्थ में है यह एक संयोग, परम् भाग्योदय।

।।ॐ श्रीकृष्णार्पणमस्तु।।

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